पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच द्वारा माँ विषय आधारित काव्य प्रतियोगिता में श्रीमती आदर्शिनी श्रीवास्तव की रचना
सम्बोधन जो तजकर आई वो ही आकर अपनाया वो सबकी अम्मा थीं लेकिन हमको मम्मी ही भाया कभी झुर्रियां गालों की छूने को मन ललचा जाता ढीली हुई बाँह कोमल छू छूकर मन हरषा जाता सभी डोर को एक मुष्टि कर सहलाती दुलराती थीं हर रिश्ते को जोड जोड सबकी सीवन बन जाती थीं कष्ट … Read more