Category: साहित्य
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच द्वारा माँ विषय आधारित काव्य प्रतियोगिता में श्रीमती ऋचा सिन्हा की रचना
मेरी माँ मेरी माँ याद आती है मुझे मेरी माँ वो तड़के ही उठ जाना उठकर बुहारना पोछना सींचना वो ओस की बूँदो जैसी मेरी माँ याद आती है मुझे मेरी माँ परात भरकर आटा गूँधना परत दर परत चपातियाँ सेंकना वो गैस के चूल्हे पे सिकती मेरी माँ याद आती है मुझे मेरी माँ…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर सीमा खरे आह की रचना
विनती हे शारदे करती हूँ विनय सम्मुख तेरे कर जोड़ के, तू कर चमत्कार हे! जगत मात्रिके मानव अब धर्मों को तौलना छोड़ दे। अपनत्व और सौहार्द्र के झरने सदैव झरते रहें , नफरतों ,अलगाव के तूफानों का रुख तू मोड़ दे। काया ,साया ,रक्त, चेहरा है सभी का एक सा, हृदय में भरते घृणा…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर प्रियंका श्रीवास्तव की रचना चित्रकूट हूँ मैं
चित्रकूट हूँ मैं माँ भारती का अभिमान हूँ मैं, सनातन संस्कृति का गान हूँ मैं, श्री राम के चरणों की रज हूँ मैं, इस भू धरा का दिव्य तेज हूं मैं, सीता राम के जीवन मूल्यों का केंद्र हूँ मैं, हां.. चित्रकूट हूँ मैं, पुण्यसलिल चित्रकूट हूं मैं, राम के ग्यारह वर्षो का साक्षी हूँ…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर उत्तरप्रदेश से श्वेता श्रीवास्तव की रचना
होली आयी होली आयी होली आयी, रंग रंगीली होली आयी, सतरंगी रंगों से लिपटी, रंगों का त्योहार है आयी… अपनों में ये प्यार बढ़ाने, गैरों को भी गले लगाने, आया सबमें प्यार लुटाने, सबको रंग का खेल सिखाने… होली आयी होली आयी, रंग रंगीली होली आयी, गोरे काले का भेद मिटाने, सब पर अपना रंग…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर प्रिया सिन्हा की रचना एक बेटी ऐसी भी..
एक बेटी ऐसी भी.. कुछ सपनों को लिए आंखों में दो वक्त की रोटी कमाने निकल चली थी घर से गरीब मां बाप की बेटी हूं साहब यह सोच समझ के… जा बेटी कुछ कमा कर लाना हम गरीब मां-बाप को दो जून की रोटी खिलाना.. यह कह अपने मेरे घर से विदाई दे दिए…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से डॉ. रेणु श्रीवास्तव की रचना
होली हमजोली पलास का वर्ण रक्तिम हुआ फाग का उत्सव अब शोभित हुआ होली के रंग लगते सब प्यारे कुंज गलिन में राधा कान्हा न्यारे रंग है मस्ती का खुश हो मनाते हरा लाल नीला पीला सब अपनाते फागुन की बहार में झूम रहा मन रंग बरसे प्रेम का आतुर है तन होली के रंग…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ महिला काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से हंसा श्रीवास्तव की रचना
होली खेलन नंदलाल होली खेलन नंदलाल आज बरसाने आऐ रंग लगाने घन श्याम ,आज बरसाने आये । संग ग्वालों की चल रही टोली ,हल्ला मचा रहे सब हम चोली उड़े अबीर ,गुलाल लगाने आऐ । रंग लगाने घनश्याम ,आज बरसाने आऐ हाथों में उनके पिचकारी , गोपी पर रंग भर भर डारी हुरियारी आजमचाने आऐ…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से नम्रता सरन “सोना” की रचना- रंग दे पिया
रंग दे पिया होली आई रे पिया, मस्ती छाई रेे पिया अंग अंग फरकन लगे, ऐसी यादें लाई रे पिया l अबीर गुलाल दहके अंग गोरी मुख पर लाज का रंग अल्हड यौवन कोरा मन नाचे होकर मस्त मलंग झूमे धरती ,गाए अंबर पुनीत प्रेम की पीके भंग प्रणय मिलन पिया के संग उड़ा लाल गुलाबी पीला…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर बदायूँ , उत्तरप्रदेश से दीप्ति सक्सेना की रचना
मोरी कोरी चुनरिया, न रंग रसिया मोरी कोरी चुनरिया, न रंग रसिया। मोहे होरी पे कर तू, न तंग रसिया। भोर में पहली पहर उठी रे, पुलकित मन में लहर उठी रे। पूजन थाल में भोग सजाऊँ, होलिया में आखत डालन जाऊँ। बीच गलियन में कर तू, न जंग रसिया। मोहे होरी पे कर तू,…
-
पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से नितिका वर्मा की रचना
फागुनी बयार हो (गीत) प्रियतम हो साथ में, फागुनी बयार हो । वासंती रंगों से रंजित संसार हो । ताड़न, प्रतिताड़न, उत्पीड़न की पीड़ाएँ- हों विलीन, हों समाज में नित नाव क्रीड़ाएँ । मानवता के गले में खुशियों का हार हो । वासंती रंगों से रंजीत संसार हो । हिन्दू के गालों पर मुस्लिम रंग बिखराएँ,…