रंग दे पिया
होली आई रे पिया,
मस्ती छाई रेे पिया
अंग अंग फरकन लगे,
ऐसी यादें लाई रे पिया l
अबीर गुलाल दहके अंग
गोरी मुख पर लाज का रंग
अल्हड यौवन कोरा मन
नाचे होकर मस्त मलंग
झूमे धरती ,गाए अंबर
पुनीत प्रेम की पीके भंग
प्रणय मिलन पिया के संग
उड़ा लाल गुलाबी पीला रंग l
फाग फागुन रितुु बसंत
ढोल मंजीरे और मृदंग
उपवन मे झूले मकरंद
पकी फसल झूमे मंदमंद
रोम रोम भयो गुलाबी
चहुँ ओर छाए आनन्द l
तुमरे रंग मे रंगा है मन
कब आओगे बैरी सजन
धूल उडाती चली पवन
राह तकते थके नयन
रंग रंग भी कहत रहे
आके रंग दे मोरा मन l
नम्रता सरन “सोना”
भोपाल, मध्यप्रदेश.
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