मेरी माँ मुझे प्रेम करें इतना,जितना किसी के वश में नहीं।
मैं प्रेम करूं या पूजा,उनसा नहीं कोई दूजा जग़ में कहीं।
ममता की देकर छाया, एक एक पग है चलाया,
देकर थपकी ले आई, स्वप्नो के नगर में सुलाया,
मंदिर में जाकर जिनको पूजें, माँ तो है देवी वही ।।1।।
मेरी मां……
देकर अपनी आंखों के सपने,मुझको संवारा सजाया,
लगे ना नज़र किसी की, काला टीका भी लगाया,
माँ का आंचल है अंबर जैसा, सर पर छाया है घनीं ।।2।।
मेरी मां……
करके अनदेखा जग को, मुझको पढ़ाया बढ़ाया,
सुनकर के लोगों के ताने, माँ का हर फर्ज निभाया,
माँ शारदे, माँ लक्ष्मी जैसी, अन्नपूर्णा है वहीं ।।3।।
बेटी हूं मै उनकी, परछाई बन उनकी रहूंगी,
जो सीख दी उन्होंने, उसपर जीवन भर चलूंगी,
माँ की इक्क्षा का मान करूं, जैसे ईश्वर की हो कहीं।।4।।
मेरी मां मुझे प्रेम करें इतना,जितना किसी के वश में नहीं।
मैं प्रेम करूं या पूजा, उनसा नहीं कोई दूजा जग़ में कहीं।