FATHERS DAY : पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ महिला काव्य मंच पर बिहार, अरेराज से पल्लवी श्रीवास्तव की रचना “पिता”

“पिता” मेरी साहस, मेरी हिम्मत, मेरी पहचान है पिता पिता एक उम्मीद हैं, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है। जीवन का आधार है पिता, पिता रोटी हैं, कपड़ा है, मकान है खुशियों की चाभी है पिता, माँ घर का गौरव, तो पिता घर का अस्तित्व है। माँ की सिन्दूर और बिन्दी है … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर प्रतिभा कुलश्रेष्ठ की रचना बटुआ

बटुआ बटुआ रूप अनेक  लिए संभाल रखे कीमती सामान सभी सबका नेह बसा बटुए में लिए हाथ सब रहते हैं हम भी एक बटुआ लिए बड़े संभाले रहते हैं धन की नहीं मन की खनक से भरा…… हर रिश्ते की कीमत को सजाए जरा चाचा मौसी बुआ फूफा भाई बहन के नोटों का एक बटुआ … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ महिला काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से हंसा श्रीवास्तव की रचना

होली खेलन नंदलाल होली खेलन नंदलाल आज बरसाने आऐ रंग  लगाने घन श्याम ,आज बरसाने आये । संग ग्वालों की  चल रही टोली ,हल्ला मचा रहे सब हम चोली उड़े अबीर ,गुलाल लगाने आऐ । रंग लगाने घनश्याम  ,आज बरसाने आऐ हाथों में उनके पिचकारी , गोपी पर रंग भर भर डारी हुरियारी आजमचाने आऐ … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से डॉ. रेणु श्रीवास्तव की रचना

होली हमजोली पलास का वर्ण रक्तिम हुआ फाग का उत्सव अब शोभित हुआ होली के रंग लगते सब प्यारे कुंज गलिन में राधा कान्हा न्यारे रंग है मस्ती का खुश हो मनाते हरा लाल नीला पीला सब अपनाते फागुन की बहार में झूम रहा मन रंग बरसे प्रेम का आतुर है तन होली के रंग … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से नितिका वर्मा की रचना

फागुनी बयार हो (गीत) प्रियतम हो साथ में, फागुनी बयार हो । वासंती रंगों से रंजित संसार हो । ताड़न, प्रतिताड़न, उत्पीड़न की पीड़ाएँ- हों विलीन, हों समाज में नित नाव क्रीड़ाएँ । मानवता के गले में खुशियों का हार हो । वासंती रंगों से रंजीत संसार हो । हिन्दू के गालों पर मुस्लिम रंग बिखराएँ, … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर स्वास्थ्य दिवस पर आधारित उषा सक्सेना, भोपाल की रचना

स्वास्थ्य दिवस पर तन सुंदर तो मन भी सुंदर‌ है तन के अंदर ही मन रहता योग नियोग निरोगी काया जिसमें है सब कुछ अर्पण । प्रात:काल है ब्रह्ममुहुर्त  का उसमें ही जग जाग्रत होता जो सोता रहता है उस समय वह अपना सब कुछ खोता है। समय नहीं अनुकूल धैर्य धर जो धीरज को … Read more

श्रीमती साधना श्रीवास्तव को मिलेगा साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2020 का प्रादेशिक पुरुस्कार।

श्रीमती साधना श्रीवास्तव को मिलेगा साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2020 का प्रादेशिक पुरुस्कार। साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग भोपाल के निदेशक श्री विकास दवे जी ने वर्ष 2020 के 13 अखिल भारतीय एवं 15 प्रादेशिक रचनाकारों के कृति पुरुस्कार की घोषणा की । अखिल भारतीय पुरुस्कृत रचनाकारों को एक लाख … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर संतोष श्रीवास्तव की कहानी – और डूब के जाना है

और डूब के जाना है संतोष श्रीवास्तव कात्यायनी हाउस के विशाल ड्राइंग रूम में चित्रकार विपिन कुमार असहज सा बैठा था। देख रहा था दुनिया के अमीरों में लिस्टेड भारतीय बिजनेसमैन सलिल जोशी की 22 मंजिला आलीशान इमारत का हाईटेक सुविधाओं से लैस बेहद खूबसूरत ड्राइंग रूम जो पहली मंजिल पर ही खास मेहमानों से … Read more

पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर प्रियंका श्रीवास्तव की रचना चित्रकूट हूँ मैं

चित्रकूट हूँ मैं माँ भारती का अभिमान हूँ मैं, सनातन संस्कृति का गान हूँ मैं, श्री राम के चरणों की रज हूँ मैं, इस भू धरा का दिव्य तेज हूं मैं, सीता राम के जीवन मूल्यों का केंद्र हूँ मैं, हां.. चित्रकूट हूँ मैं, पुण्यसलिल चित्रकूट हूं मैं, राम के ग्यारह वर्षो का साक्षी हूँ … Read more

ईश्वर की अनुपम कृति है आंखे, जीवन को धन्य बनाती आंखे, देखती है दुनिया का नज़ारा, ऐसी अनमोल हमारी आंखे – सुषमा श्रीवास्तव

ईश्वर की अनुपम कृति है आंखे, जीवन को धन्य बनाती आंखे, देखती है दुनिया का नज़ारा, ऐसी अनमोल हमारी आंखे| रहती है पलकों से सुरक्षित आंखे, गोल मटोल,कटीली,आंखे, देखकर  अपनो को तृप्त होती , शर्माती  लाज से झुक जाती आंखे| मन के भाव बताती आंखे, ईशारो से  समझाती आंखे, सुन्दरता में चार चांद लगाती खुशी … Read more