गंगा दशहरा
मानों तो गंगा मांँ है,
ना मानो तो बहता पानी..
आज ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी को महाराज दिलीप के पुत्र भागीरथ अपने पिता की मृत्यु के पश्चात कठोर तपस्या के बल पर ब्रह्मा जी एवं शिव जी को प्रसन्न करने के पश्चात धरा पर लाये । उनको धरा पर लाने का एकमात्र उद्देश्य अपने पूर्वज महाराज सगर के साठ हजार पुत्रों के कपिल मुनि के शाप से मुक्ति के लिये पृथ्वी पर लाना था । इसके लिये उनकी तीन पीढ़ियों ने देवनदी गंगा जी को धरती पर लाने के लिये तप किया था और तप करते हुये ही उन सभीकी मृत्यु हुई ।अंत मे महाराज भागीरथ ने संन्यास लेकर ऋषि धर्म अपनाते हुये कठोर तप करके ब्रह्मा जी के कमंडल में निवास कर रही विष्णुपदी देवनदी गंगा को मांगा ।ब्रह्मा जी ने कहा की मैं गंगा को तुम्हें दे दूंगा लेकिन उनके तेजोमय रूप और शक्ति का अवगाहन करने के लिये भी कोई चाहिये अन्यथा वहपृथ्वी में छेद कर सीधे पाताललोक को चलीजायेंगी ।अत:इसके लिये पहले आप महादेव को प्रसन्न करें । उन्हीं में इतनी शक्ति है कि वह गंगा जी के प्रवाह को बाधित कर पथ्वी पर ही उन्हें प्रवाहित करें । ब्रह्मा जीसे गंगा जी को मांगने के पश्चात अब ऋषि भागीरथ ने शिव जी को भी प्रसन्न करने के लिये कठोर तप किया । शिव जी ने प्रसन्न होकर गंगाजी को अपने जटाओं में धारण करने के पश्चात ही उन्हें प्रवाहित करने का वचन दिया ।महादेव जी अपनी विशाल जटायें बिखरा कर हिमालय पर्वत पर खड़े हो गये ।ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से गंगा जी की तीन बूंद छोड़ी जिसमें एक धारा प्रवाहित होकर स्वर्ग लोक चली गई दूसरी पाताल लोक में समा गई।तीसरी धारा अपने तेजोमय शक्ति रूप से प्रववाहित होकर शिव जी के मस्तक पर गिरते हुये उचच्छृंखल होकर उन्हें ही अपने वेग के प्रवाह में प्रवाहित करना चाहा ।तब शिवजी ने गंगा जी को अपनी बिखरी जटाओं मे समेट कर जूड़े में बांध कैद कर दिया ।गंगा जी शिव जी की जटाओं की कैद से मुक्त होने के लिये छटपटाने लगी ।इधर भागीरथ जी परेशान ।उन्होने पुन:शिव जी सगंगा जी को धरती पर प्रवाहित करने केलिये प्रार्थना की ।शिव जी ने भागुरथ जी की प्रार्थना पर अपनी जटाओं मे से एक धार धरती पर प्रवाहित होने के लिये इस शर्त पर की जिस राह से भागीरथ जायें उसी मार्ग का अनुसरण करते हुये उन्हें जाना होगा । इस प्रकार गंगा जी आज के दिन धरापर महाराज भागीरथ के अथक प्रयास से अवतरण हुआ ।भागीरथ जी ने उन्हें अपना नाम दिया इसीलिए वह भागीरथी गंगा कहलाती हैं ।
आज केदिन भागीरथी गंगा जी में सनान करने का विशेष महत्व है ।कहते हैं आज के दिन देवी गंगा स्वयं अपने जल में स्नान कर उनका पूजन दान पुण्य करने वाले के सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं । आज चार महायोग इस दिन बन रहे हैं गुरु एवं चंद्र केयोग से गजकेसरी योग मंगल की दृष्टि होने से चंद्रमंगल योग एवं सूर्य के साथ बुध की युति बुधादित्य योग बना रही है । गंगा दशहरा से बादलों का नभ पर आगमन बरसात की सूचना देता है। यह दिन किसानों के लिये विशेष त्यौहार हिरायता के रूप मे मनाया जाता है ।
जै माँ गंगे।हर-हर गंगे ।
उषा सक्सेना:-भोपाल (म.प्र.)
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