कायस्थ समाज को संगठित करने की ऐतिहासिक पहल — ‘के-कार्ड’ बना रहा है एक नई पहचान!

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कायस्थ समाज को संगठित करने की ऐतिहासिक पहल — ‘के-कार्ड’ बना रहा है एक नई पहचान!

नई दिल्ली: देशभर के कायस्थ समाज में इन दिनों एक नई जागरूकता की लहर दौड़ रही है — ‘के-कार्ड’ अभियान के रूप में। यह कोई साधारण कार्ड नहीं, बल्कि हर कायस्थ की डिजिटल सामाजिक पहचान का प्रतीक बनता जा रहा है, जो समाज को एक संगठित, सशक्त और जागरूक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है।

के-कार्ड किसी संस्था की सदस्यता नहीं, बल्कि समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारी और निष्ठा का डिजिटल संकल्प है। इसमें कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन हर कायस्थ के लिए यह गर्व की बात है कि वह इस कार्ड के माध्यम से न केवल समाज से जुड़ता है, बल्कि सामाजिक योजनाओं और विशेष लाभों का भी हिस्सा बनता है।

के-कार्ड धारकों को मिल रहे हैं विशेष लाभ:

  • विभिन्न संस्थानों व सेवाओं में विशेष छूट (डिस्काउंट)
  • सामाजिक योजनाओं से सीधा जुड़ाव
  • सम्मान और पहचान के नए अवसर

एक संकल्प, एक पहचान:

के-कार्ड बनवाते समय हर व्यक्ति को यह संकल्प लेना होता है कि वे राष्ट्रीय जनगणना के जाति कॉलम में सिर्फ “कायस्थ” ही लिखेंगे। यह न केवल सामाजिक एकता को मजबूत करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक सशक्त पहचान देने का कार्य भी करता है।

बने ‘श्रेष्ठ कायस्थ’:

अभियान में भाग लेकर यदि आप अपने परिवार, रिश्तेदारों, और जान-पहचान वालों को के-कार्ड के लिए प्रेरित करते हैं और सर्वाधिक के-कार्ड बनवाते हैं, तो आपको ‘श्रेष्ठ कायस्थ’ के सम्मान से नवाजा जाएगा।

कायस्थ समाज की यह पहल न केवल एक पहचान है, बल्कि एक आंदोलन है — एकजुटता, गरिमा और उन्नति का प्रतीक।

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