गंगा मैया
पवित्र पावनी गंगा मैया,करती सबका उद्धार
शरण में जो भी आता मैया ,करती बेड़ा पार
1)भागीरथ के तप से मैया,इस धरती पर आयी
देख वेग मैया का,शिव ने जटा मे धायी
लहर -लहर गंगा,हर्षित धरती हुई अपार
पवित्र पावनी गंगा मैया——-
2)गौ मुख से आरम्भ मैया ,गंगा सागर में जा समायी
बह्मा, विष्णु,महेश ने मां,तेरी महिमा गायी
शांत चित्त गंभीर मैया, बहती अविरल धार
पवित्र पावनी गंगा मैया—-
3)पापनाशिनी,मोझदायनी,तेरे नाम अनेक
स्नान से मैया सबके,कट जाते है क्लेश
हर -हर गंगे का मैया ,करते जाप हजार
पवित्र पावनी गंगा मैया—–
4)हर जीव का तुम आधार,तुमसे खुलते मोझ के द्वार
चलता जीवन तुमसे मैया, हर जीव होता सागर पार
अपनी आंचल मे समेटा,तूने ये संसार
पवित्र पावनी गंगा मैया,करती सबका उद्धार
शरण में जो भी आता मैया,करती बेड़ा पार|
श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव ‘सजल’
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