पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर स्वास्थ्य दिवस पर आधारित उषा सक्सेना, भोपाल की रचना

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स्वास्थ्य दिवस पर

तन सुंदर तो मन भी सुंदर‌ है
तन के अंदर ही मन रहता
योग नियोग निरोगी काया
जिसमें है सब कुछ अर्पण ।

प्रात:काल है ब्रह्ममुहुर्त  का
उसमें ही जग जाग्रत होता
जो सोता रहता है उस समय
वह अपना सब कुछ खोता है।

समय नहीं अनुकूल धैर्य धर
जो धीरज को धारण करता
धैर्यवान होकर वह सब कुछ
अपना मनचाहा फिर पालेता ।

स्वास्थ्य नियम पालन करना
ऋतुओं के अनुकूलन चलना
शुद्ध आचरण का व्यवहार
सिखलाता है आचार विचार।

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