पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ महिला काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से हंसा श्रीवास्तव की रचना

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होली खेलन नंदलाल

होली खेलन नंदलाल आज बरसाने आऐ
रंग  लगाने घन श्याम ,आज बरसाने आये ।

संग ग्वालों की  चल रही टोली
,हल्ला मचा रहे सब हम चोली
उड़े अबीर ,गुलाल लगाने आऐ ।
रंग लगाने घनश्याम  ,आज बरसाने आऐ

हाथों में उनके पिचकारी ,
गोपी पर रंग भर भर डारी
हुरियारी आजमचाने आऐ
रंग लगाने घनश्याम आज बरसाने आऐ।

राधा संग करते बरजौरी
आज तुम्हें न छोड़े गोरी
भरी रंग की नाद डुबाने आऐ
रंग लगाने घन श्याम आज बरसाने आऐ।

राधा हम तुम्हें  रंग देगे
तुमरी सब सखियों  को रंग देगे
बूढ़ी हो या बारी होली मनाने आऐ
रंग लगाने घनश्याम आज बरसानेआऐ

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