अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने राष्ट्रीय सांगठनिक दिवस के रूप में नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती मनाई

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

नई दिल्ली – अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर नई दिल्ली के. जी. मार्ग स्तिथ आई. ए. एस. क्लब में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर संगठन के पदाधिकारियों की उपस्थिति में हर्षोल्लास और भव्यता पूर्ण मनाई गई।
पूर्व आई. आर. एस. प्रधान आयुक्त भारत सरकार डॉ अनूप श्रीवास्तव राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने सर्वप्रथम नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण की, तत्पश्चात कार्यकारी अध्यक्ष ब्रिगेडियर अनिल श्रीवास्तव, जस्टिस सुधीर सक्सेना, कर्नल सक्सेना, डॉ अशोक श्रीवास्तव, अजीत सिन्हा, शेखर धर जी, अमित श्रीवास्तव, सिद्धार्थ श्रीवास्तव आदि ने माला और पुष्प अर्पित की।
इसके पूर्व, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी पदाधिकारी इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति से 50 कदम की दूरी पर एकत्रित हुये जहां महिलाओं की ओर से महिला संभाग की महासचिव डॉ आरती सुमन चौधरी जी अपने महिला मंडली के सदस्यों के साथ शामिल हुईं, चूकी आगामी 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम की वज़ह से इस बार 17 जनवरी से ही इंडिया गेट के चारो ओर बैरिकेड्स लगे थे और आम और खास को सुरक्षा की वज़ह से जाने से मनाही थी इसलिए हमलोगों ने नेताजी सुभाष पार्क जाकर माल्यार्पण करने का निश्चय किया लेकिन वहां भी सुरक्षा कारणों से पार्क बंद थी तो अंततोगत्वा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनूप श्रीवास्तव जी का ये फैसला हुआ कि आई. ए. एस. क्लब में जयंती मनाई जाए।
चूकी नेताजी के प्रति सभी के अंदर भावना थी और उसकी प्रतिपूर्ति हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा उठाया गया कदम सही ही प्रतीत हुआ जिसकी भूरि – भूरि प्रशंसा करना उचित ही रहेगी ।
इस अवसर पर उपस्थित पदाधिकारियों सहित आम व खास जनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष जी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी के विचारों का महत्व इस वज़ह से है कि उन्होंने देश को आजादी दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को निभाई और उनके विचारों में देशभक्ति, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय जैसे तत्त्व शामिल हैं। नेताजी के विचारों से प्रेरित होकर आज के युवाओं में राष्ट्र पहले की भावना पैदा की जा सकती है।
कार्यकारी अध्यक्ष अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ब्रिगेडियर अनिल श्रीवास्तव ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मोहनदास करमचंद गांधी ‘बापू’ के विचार बिल्कुल अलग – अलग थे लेकिन सन् 1942 में गाँधी जी ने सुभाष बाबू को ‘राष्ट्रभक्तों का राष्ट्रभक्त’ कहा था जिससे ये परिलक्षित होती है कि गांधी जी भी नेताजी के प्रशंसक थे लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति किस मार्ग से हो इस पर दोनों अलग – अलग राय रखते थे। सुभाष बाबू ने साफ़ कह दिया था कि यदि हमें स्वतंत्रता चाहिये तो खून बहाना ही पड़ेगा, जो गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत से मेल नहीं खाता था। इसी प्रकार गांधी जी औद्योगिकीकरण के विरुद्ध थे जबकि सुभाष बाबू भारत के मजबूत एंव आत्मनिर्भर बनने की दिशा में औद्योगिकरण को ही एकमात्र रास्ता मानते थे।
जस्टिस सुधीर सक्सेना ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें नेताजी के नाम से जाना जाता है, ने नारा दिया था, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा” जो आज भी देश के हर नागरिक व युवा वर्ग के दिल व दिमाग में अंकित है। यह नारा राष्ट्र के प्रति सुभाष बाबू की प्रतिबद्धता, कर्तव्य और जिम्मेदारी का एहसास कराता है।
0
0

Leave a Comment

और पढ़ें