” माँ ” मेंरी औकात नहीं ,
कि तुझे शब्दों में बाँध सकू।
कोख में रख, खून से सीचा मुझे,
तेरे जैसा और कोई माली नहीं,
जिसकी मैं कीमत चुका सकू,
“माँ” मेरी औकात नहीं कि तुझे……
तेरे प्यार की समुद्र सी गहराई,
है कोई पैमाना नहीं,
जिससे मैं माप सकू,
“माँ” मेरी औकात नहीं कि तुझे……
तेरी दुआ जैसी कोई दवा नही,
जो मैं मेरे जख़्म मे लगा सकू,
“माँ” मेरी औकात नहीं कि तुझे……
है कोई ऐसी औलाद नही ,
जो तेरे “दूध का कर्ज”
अदा कर सके,
“माँ” मेरी औकात नहीं
कि तुझे शब्दों मे बाँध सकू।
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