कोलकाता, 2 जनवरी: भारतीय गणराज्य के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त, श्री सुकुमार सेन की 126वीं जयंती आज मनाई जा रही है। सुकुमार सेन का जन्म 2 जनवरी 1899 को पश्चिम बंगाल में हुआ था, और वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक प्रतिष्ठित अधिकारी रहे। उन्हें 1954 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था। उनका योगदान भारतीय चुनाव प्रक्रिया को स्थापित करने में ऐतिहासिक था, विशेषकर पहले आम चुनाव के आयोजन में।
शिक्षा और प्रशासनिक कैरियर
सुकुमार सेन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की थी और इसके बाद लंदन यूनिवर्सिटी में शिक्षा के लिए गए थे। गोल्ड मेडलिस्ट रहे सेन ने 1921 में भारतीय सिविल सेवा (ICS) परीक्षा पास की और प्रशासनिक सेवा में शामिल हो गए। स्वतंत्रता संग्राम के दौर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया, और 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले मुख्य सचिव के रूप में पश्चिम बंगाल के शासन में अहम भूमिका निभाई।
भारत के पहले आम चुनाव का आयोजन
15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी – एक चुनाव प्रणाली का निर्माण। यह चुनौती सुलझाने में सुकुमार सेन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। 1950 में भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त होने के बाद, उन्होंने 1951-1952 में देश का पहला आम चुनाव आयोजित किया, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था।
उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व में देशभर के सभी कोनों में चुनाव प्रक्रिया पहुँचाई गई, जिसमें दूर-दराज़ गांवों, पहाड़ी इलाकों और छोटे-छोटे द्वीपों तक मतदाताओं तक मतदान सामग्री पहुँचाने के लिए विशेष कदम उठाए गए थे। समुद्र के मार्गों पर भारतीय नौसेना का सहारा लिया गया था और नदियों पर विशेष पुलों का निर्माण कराया गया था।
महिलाओं के अधिकारों के लिए कदम
1952 के आम चुनाव में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सुकुमार सेन ने महिलाओं के मतदान अधिकारों को लेकर एक सशक्त सुधार किया। उस समय उत्तर भारत की कई महिलाओं ने अपना नाम मतदाता सूची में अपने पति या बेटे के रूप में दिया था, जिसे उन्होंने ‘अतीत का अजीबोगरीब और मूर्खतापूर्ण अवशेष’ करार दिया। उन्होंने चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे महिलाओं के नाम सूची में सही तरीके से अंकित करें और उनका खुद का नाम लिखा जाए। हालांकि, इस निर्णय से 28 लाख महिला मतदाताओं के नाम हटा दिए गए, लेकिन सुकुमार सेन ने इसे एक सकारात्मक कदम मानते हुए कहा कि इससे महिलाओं में जागरूकता बढ़ेगी और आने वाले चुनावों में उनका नाम सही रूप में दर्ज होगा।
भारत और विदेशों में ख्याति
भारत के पहले आम चुनाव में उनकी भूमिका के लिए उन्हें न केवल देशभर में सम्मान मिला, बल्कि विदेशी देशों ने भी उनकी चुनावी विशेषज्ञता को सराहा। सूडान ने उन्हें वहां चुनाव कराने के लिए आमंत्रित किया, जो उनके कार्यों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान था।
सुकुमार सेन का कार्य भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने में अनमोल योगदान था। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग बनाए रखता है।
आज उनकी जयंती पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके योगदान को याद करते हैं।
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