कायस्थ पाठशाला ट्रस्ट तीन महान विभूतियों डॉ राजेन्द्र प्रसाद, मुन्शी काली प्रसाद कुलभाष्कर और खुदी राम बोस जी को उनके जन्मदिवस 3 दिसम्बर पर याद किया

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दिसंबर को आयोजित “राष्ट्रीय कायस्थ समागम” की आयोजन समिति की तैयारी बैठक संपन्न
लखनऊ (उत्तरप्रदेश) – कायस्थ पाठशाला,लखनऊ इस्टेट सभागार में आज यहां लखनऊ गौतमबुद्ध मार्ग पर स्थापित कायस्थ पाठशाला के संस्थापक कुलभूषण काली प्रसाद जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके याद किया गया। इसके उपरांत कायस्थ कुलभूषण देश के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद जी और के.पी. टेस्ट के संस्थापक कालीप्रसाद जी एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद खुदीराम बोस जी की जयंती पर महापुरुषों के जीवन के व्यक्तित्व कृतित्व प्रकाश डालते हुए एक संगोष्ठी आयोजित की गई ,जिसका संचालन शेखर श्रीवास्तव ने किया।
इसके साथ ही पार्वतीय महापरिषद मंच गोमती तट ,लखनऊ में आगामी 8 दिसंबर 2024 को आयोजित होने वाले “राष्ट्रीय कायस्थ समागम” को लेकर मेंबर इंचार्ज कायस्थ पाठशाला ,आनंद प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कोर कमेटी द्वारा तैयारी बैठक भी व्यापक विचार विमर्श किया गया।
जिसको मेंबर इंचार्ज कायस्थ पाठशाला, लखनऊ आनंद प्रकाश श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि जौनपुर के मुंशी काली प्रसाद कुलभाष्कर ने प्रयागराज,बहादुरगंज में 1872 में सात विद्यार्थियों के साथ कायस्थ पाठशाला की नींव डाली थी। आनंद प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद् मुंशी काली प्रसाद जी का शिक्षा के प्रति समर्पण भाव इतना जबरदस्त था कि उन्होंने खुद की वसीयत में अपनी सभी कोठियों और जमीन जायदाद को कायस्थ पाठशाला के नाम कर दिया था।150 साल में आज कायस्थ पाठशाला अपना विस्तार देशभर में कर चुका है।
अपने संबोधन में मेंबर इंचार्ज कायस्थ पाठशाला श्री आनंद प्रकाश श्रीवास्तव जी और संगोष्ठी के मुख्य अतिथि लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष रमेश श्रीवास्तव ने देश के पहले राष्ट्रपति रहे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी को याद करते हुए कहा कि भारतीय संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष होने के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, शिक्षा और सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम वैश्विक स्तर पर भारत को गौरवान्वित करने वाला हैं। देशभर की तमाम धरोहरो के संरक्षण,समृद्धि और स्वराज्य की दिशा में डॉ प्रसाद का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
आयोजित संगोष्ठी में सभी वक्ताओं ने आज ही जन्में तीसरे महापुरुष स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस के जीवन में प्रकाश डालते हुए कहा कि खुदीराम बोस जब 8वीं क्लास में थे तभी क्रांति का रुख कर लिया। तभी वह बंग भंग आंदोलन के विरोध में कूद गए।अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगाना उनका मकसद बन गया था। खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने अंग्रेज जज किंग्सफोर्ड को बम से उड़ाने की कोशिश की, इसी वजह से उन्हें महज 18 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें फांसी दे दी गई थी।
संगोष्ठी में डी एस श्रीवास्तव पूर्व आईएएस, अनूप श्रीवास्तव महर्षि स्कूल, कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ,अतुल श्रीवास्तव,अरुण कुमार श्रीवास्तव, सुशील कुमार श्रीवास्तव, नरेश प्रधान, डॉ.अखिल सहाय, नरेंद्र श्रीवास्तव, मुनेंद्र श्रीवास्तव आलोक भटनागर ,राकेश रंजन निगम ,शारदा प्रसाद श्रीवास्तव, अमर वर्मा, अपना नाम ,मोहित श्रीवास्तव, वेद प्रकाश सक्सेना,राजेश श्रीवास्तव, संजय मोहन श्रीवास्तव प्रमुखता से मौजूद रहे।
-विकास श्रीवास्तव
प्रवक्ता ,राष्ट्रीय कायस्थ समागम ,
कायस्थ पाठशाला, लखनऊ इस्टेट की रिपोर्ट
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