पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच पर भोपाल, मध्यप्रदेश से नितिका वर्मा की रचना

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फागुनी बयार हो (गीत)

प्रियतम हो साथ में, फागुनी बयार हो ।
वासंती रंगों से रंजित संसार हो ।

ताड़न, प्रतिताड़न, उत्पीड़न की पीड़ाएँ-
हों विलीन, हों समाज में नित नाव क्रीड़ाएँ ।

मानवता के गले में खुशियों का हार हो ।
वासंती रंगों से रंजीत संसार हो ।

हिन्दू के गालों पर मुस्लिम रंग बिखराएँ,
प्रेम से जुड़ें सभी मनभेद-द्वेष बिसराएँ ।

आँखों में सबकी स्नेहिल मनुहार हो ।
वासंती रंगों से रंजित संसार हो ।

प्रियतम हो साथ में फागुनी बयार हो ।
वासंती रंगों से रंजित संसार हो ।

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