इतिहास गवाह है कि कायस्थों ने कभी भी राजनीतिक हक़ नहीं माँगा लेकिन वर्तमान समय में षडयंत्र के तहत उन्हें सत्ता के साथ विपक्ष से भी दूर किया जा रहा है – अजीत सिन्हा

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कायस्थों जैसा कोई कट्टर हिन्दू भी नहीं अपवाद को छोड़कर
दिल्ली – केंद्र की सत्तासीन सरकार द्वारा एक भी कायस्थ को कैबिनेट में स्थान नहीं देना और उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार को उखाड़ फेंकना एंव उत्तरप्रदेश के लोकसभा चुनाव में एक भी कायस्थ उम्मीदवार को टिकट नहीं देना, बालासाहब ठाकरे की शिव सेना पार्टी को तोड़ना और उनके वंशज को सत्ताच्युत करना, प्रशासन के महकमे में कायस्थों के अधिकारियों को द्वितीय श्रेणी में रखना और उनको तव्वजो नहीं देना और विपक्ष की पार्टियों द्वारा भी कायस्थों को कम से कम टिकट देना ये दर्शाती है कि कायस्थों को राजनीतिक रूप से षड्यंत्र के तहत दूर किया जा रहा है जिसका खामियाजा सभी पार्टियों को आने वाले चुनाव में भुगतान ही होगा, हो सकता है कायस्थ जनसंख्या में कम हों लेकिन अपनी बुद्धि के बदौलत कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ही नहीं अपितु इस पूरी पृथ्वी पर शासन राजतंत्र के साथ प्रजातंत्र में भी किये हैं। और अच्छी शासन व्यवस्था उन्होंने दी है चाहे राजतंत्र में ललितादित्य मुक्तापीड की शासन के साथ अन्य कायस्थ राजाओ जैसे राजा टोडरमल आदि की रही वो या प्रजातंत्र के अंतर्गत लाल बहादुर शास्त्री जैसे सादगी पसंद कर्मठ नेताओ की रही हो और देश के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में डॉ राजेन्द्र प्रसाद की अमिट कार्यशैली की हो और लगातार ओडिशा में 25 वर्षो से अधिक शासन करने वाले पटनायक परिवार की रही हो।
यहां पर ये भी विदित हो कि कायस्थ कट्टर हिन्दू होते हैं अपवाद को छोड़कर और ये चित्रगुप्त के वंशज के साथ शिव के अंश शिवांश भी है और श्री चित्रगुप्त वेदों के रचयिता के साथ विष्णु सहस्त्रनाम के भी रचयिता है और ये दुनिया के ऐसे विधाता हैं जिनके अंदर सकल ब्रह्मांड का विधान है और इनके फैसले से ही सृजन – मुक्ति, सुख – दुःख, रोग – व्याधि, यश – अपयश सब कुछ है और व्यक्ति के कर्मों की गति का फैसला इन्हीं के अधीन है। इसलिये कायस्थों की हिन्दुत्व छवि पर शक करने वाले निरीह मुर्ख हैं और उन्हें कायस्थों के इतिहास पढ़नी चाहिए।
इसलिये सत्ता वर्ग के साथ विपक्ष की पार्टियों को भी कायस्थों की राजनीति में भागीदारी का सम्मान करते हुये उन्हें अधिक से अधिक टिकट देनी चाहिए ताकि देश बुद्धिमान वर्ग की बदौलत शिखर की ऊंचाईयों पर पहुंचे और भारत का डंका पूरे विश्व में गूंजे।

जय हिंद!!

– अजीत सिन्हा

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