भारत के प्रसिद्ध लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, आलोचक तथा व्यंग्यकार कायस्थ कुल गौरव मुद्राराक्षस – सुहास वर्मा जी की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धा सुमन

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मुद्राराक्षस – सुहास वर्मा

जन्म- 21 जून, 1933, लखनऊ; मृत्यु- 13 जून, 2016
भारत के प्रसिद्ध लेखक, उपन्यासकार, नाटककार, आलोचक तथा व्यंग्यकार थे। उनके साहित्य का अंग्रेज़ी सहित दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। वे अकेले ऐसे लेखक थे, जिनके सामाजिक सरोकारों के लिए उन्हें जन संगठनों द्वारा सिक्कों से तोलकर सम्मानित किया गया था। कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना, नाटक, इतिहास, संस्कृति और समाज शास्त्रीय क्षेत्र जैसी अनेक विधाओं में ऐतिहासिक हस्तक्षेप उनके लेखन की बड़ी पहचान है।

परिचय
मुद्राराक्षस का जन्म 21 जून, सन 1933 में लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के पास बेहटा नामक गाँव के कायथा परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम सुहास वर्मा था। उन्होंने 1950 के आसपास से लिखना शुरू किया था। कहानी, उपन्यास, कविता, आलोचना, पत्रकारिता, संपादन, नाट्य लेखन, मंचन, निर्देशन जैसी विधाओं में उन्होंने सृजन कार्य किया।

लेखन कार्य
मुद्राराक्षस ने 10 से भी ज्यादा नाटक, 12 उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, तीन इतिहास किताबें और पांच आलोचना सम्बन्धी पुस्तकें लिखी हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने 20 से ज्यादा नाटकों का निर्देशन भी किया।

सम्पादन
‘ज्ञानोदय’ और ‘अनुव्रत’ जैसी तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का कुशल सम्पादन कार्य भी मुद्राराक्षस जी ने किया था।

प्रमुख रचनाएँ
मुद्राराक्षस जी की कुछ प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं-

कृतियाँ – आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंडविधान, हस्तक्षेप।
संपादन – नयी सदी की पहचान (श्रेष्ठ दलित कहानियाँ)।
बाल साहित्य – सरला, बिल्लू और जाला।
प्रकाशित पुस्तकें
सन 1951 से मुद्राराक्षस की प्रारंभिक रचनाएं छपनी शुरू हुईं। करीब दो साल में ही वे एक चर्चित लेखक हो गए थे। कहानी, कविता, उपन्यास, आलोचना, नाटक, इतिहास, संस्कृति और समाज शास्त्रीय क्षेत्र जैसी अनेक विधाओं में ऐतिहासिक हस्तक्षेप उनके लेखन की बड़ी पहचान है। इन सभी विधाओं में उनकी 65 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

पुरस्कार व सम्मान
मुद्राराक्षस अकेले ऐसे लेखक थे, जिनके सामाजिक सरोकारों के लिए उन्हें जन संगठनों द्वारा सिक्कों से तोलकर सम्मानित किया गया था। ‘विश्व शूद्र महासभा’ द्वारा ‘शूद्राचार्य’ और ‘अंबेडकर महासभा’ द्वारा उन्हें ‘दलित रत्न’ की उपाधियाँ प्रदान की गई थीं। मुद्राराक्षस को ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार’ से भी नवाजा गया था।

राजनीति और विवादों से नाता
साहित्यकार मुद्राराक्षस का राजनीति और विवादों से भी पुराना रिश्ता रहा। कई बार राजनीति के भी मैदान में उतरे, साथ ही सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़े रहे। उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल पर उंगली उठाई। अभिव्यक्ति की आज़ादी, साम्प्रदायिकता, जातिवाद, महिला-उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर वे अपनी बेबाकी से राय रखते थे। साहित्य-संस्कृति की दुनिया में मुद्राराक्षस का नाम लोगों के लिए आदर्श का काम करता है।

निधन
मुद्राराक्षस जी का निधन 13 जून, 2016 को सोमवार के दिन हुआ। परिवारीजन के मुताबिक़ उनकी तबीयत पिछले कुछ दिनों से काफ़ी खराब चल रही थी। उन्हें मधुमेह की बीमारी थी। साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही थी।

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