कायस्थ समाज की आवाज उठाते हुए वेद आशीष श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री को भेजे ईमेल में, संविधान दिवस के विज्ञापन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद की तस्वीर न होने पर जताई आपत्ति

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नई दिल्ली: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनूप श्रीवास्तव (रिटायर IRS) की आवाज को बुलंद करते हुए युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष वेद आशीष श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी संविधान दिवस के विज्ञापन में संविधान सभा के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की तस्वीर का गायब होना लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। वेद आशीष ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को ईमेल भेजकर इस मामले में जानकारी दी और चिंता व्यक्त की कि यदि डॉ. राजेंद्र प्रसाद की तस्वीर को जानबूझकर विज्ञापन से हटाया गया है, तो यह कायस्थ समाज का अपमान है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एवं संविधान निर्माण में कायस्थों के योगदान को नकारने की कोशिश की जा रही है।

वेद आशीष ने पत्र में कहा, “कायस्थ समाज को लगातार भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। संविधान दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान के निर्माता और संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद का नाम और चित्र विज्ञापन से हटा दिया गया है, जो समाज के लिए अपमानजनक है।” उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर और सरदार पटेल के साथ-साथ डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भी समान सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारतीय संविधान की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि संविधान के निर्माण में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अलावा कई अन्य महापुरुषों ने भी योगदान दिया था, जिनमें डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा, श्री राम व्योहार सिन्हा, श्री वसंत कृष्ण वैध, श्री प्रेम बिहारी रायज़ादा, और श्री जगत नारायण लाल शामिल थे। इन महापुरुषों ने भारतीय संविधान के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थीं। वेद आशीष ने प्रधानमंत्री से अपील की कि “कायस्थ समाज का योगदान राजनीति के तराजू पर न तोला जाए और उन्हें उनका वास्तविक सम्मान और अधिकार दिया जाए।”

वेद आशीष ने आगे कहा, “आज कायस्थ समाज को अपनी स्थिति सुधारने के लिए संगठित रहने की आवश्यकता है। अगर हम अपनी आवाज नहीं उठाएंगे, तो हम अपने गौरवपूर्ण इतिहास को खो देंगे।” उन्होंने संविधान दिवस पर समूचे कायस्थ समाज से अपील की कि वे एकजुट हों और समाज के प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। उनका मानना है कि “अगर कोई समाज अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाता, तो वह समाज धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।”

इस ईमेल के माध्यम से वेद आशीष ने प्रधानमंत्री से यह भी आग्रह किया कि भारत सरकार कायस्थ समाज के योगदान को उचित रूप से मान्यता दे और उनका मूल अधिकार न केवल संविधान के संदर्भ में, बल्कि अन्य सभी क्षेत्रों में भी सुनिश्चित किया जाए।

वेद आशीष ने इस अवसर पर संविधान दिवस की शपथ लेने की अपील की, जिसमें कायस्थ समाज एकजुट होकर अपनी एकता और सम्मान को प्रदर्शित करें। इस मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों ने वेद आशीष के बयान का समर्थन किया है, और अब यह मामला प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है।

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