काठमांडू में कायस्थ पत्रकार समाज के कार्यक्रम में हुंकार भरने के बाद अजीत सिन्हा नई दिल्ली की ओर रवाना होने से पहले कहीं ये बातें
काठमांडू (नेपाल) – कायस्था चेतना सप्ताहिक समाचार के कार्यकारी अध्यक्ष, कायस्थ न्यूज के सम्पादक, आपकी आवाज दैनिक समाचार पत्र के उप सम्पादक, निष्पक्ष मीडिया फाउंडेशन के संरक्षक एंव अन्य मीडिया संस्थाओं और समाचार पत्रों से जुड़े तथा अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी अजीत सिन्हा ने हुंकार भरते हुए कहा कि यदि कायस्थों को सर्वागीण विकास करनी है तो कायस्थों को अपने अंदर सुधार करनी होगी और ऐसा करने से कल के मालिक फिर मालिक बन सकते हैं और इसके लिए उन्हें प्रयास करनी होगी और अपनी खोई हुई सत्ता को फिर से प्राप्त करनी होगी और इसके लिए कायस्थों को हर हाल में हृदय मिलाकर और एकीकृत होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करनी होगी और आज जो कायस्थों की हालात है उसके जिम्मेदार वे स्वयं हैं, पूर्वजों की की गई गलती का परिणाम भविष्य को भुगतनी ही पड़ती है और यदि वर्तमान में गलतियों को स्वीकार कर सुधार नहीं की गई तो भविष्य इससे भी विकट हो सकते हैं।
आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि कायस्थों से ही सनातन है और सनातन को बचाने और उसके संवर्धन की जिम्मेदारी भी कायस्थों की ही है क्योंकि वार्णिक व्यवस्था के अन्तर्गत सबसे ऊपर हैं इसलिये उनकी आचरण भी उसी अनुरूप होनी चाहिये और आज कायस्थ समाज में जो भी विसंगतियां आई हैं और केवल आधुनिकता, प्रगतिशीलता और अत्याधिक स्वतंत्रता की ही देन है, व्यक्ति को अनुशासित और मर्यादित जीवन जीने की भरसक प्रयास करनी चाहिये।
संस्कार में आई गिरावट की वज़ह फिल्मी दुनिया और आजकल सोशल मीडिया पर परोसे जाने वाले आपत्तिजनक सामग्री, प्रेम की उच्चतम मापदंड को न समझना, नासमझी आदि ही है।
धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतन के अंर्तगत उन्होंने कहा कि श्री चित्रगुप्त त्रिदेवों की ऐसी केंद्रीय शक्ति हैं जिसने ही 84 लाख योनियों की जीवन आरंभ है और जीवन में प्राप्त सुख – दुःख के फैसले जीवों के कर्म के आधार पर श्री चित्रगुप्त ही तय करते हैं और उनसे ही अंत भी है और श्री चित्रगुप्त प्रलयंकर भी हैं और ये शक्ति केवल श्री चित्रगुप्त के पास ही हैं, शिव – शंकर और माता रानी के पास केवल संहार की शक्ति है इसलिये श्री चित्रगुप्त को लोग महाराज कहने की भूल न करें क्योंकि वे ऐसे पर ब्रह्म स्वरूप देव हैं जिस पर केवल कायस्थों को ही नहीं अपितु सभी को नाज़ करनी चाहिए।