कायस्थ अंधभक्त नहीं राष्ट्रभक्त हैं और इस समाज की राष्ट्रभक्ति पर किसी को संदेह नहीं होनी चाहिये – अजीत कुमार सिन्हा

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दिल्ली – नेताजी सुभाष सेना के कमांडर – इन – चीफ राष्ट्रीय अमन महासंघ के सर महासंघ दिग्दर्शक कायस्था फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कायस्था चेतना सप्ताहिक समाचार पत्र के कार्यकारी सम्पादक अजीत सिन्हा ने कहा कि कायस्थों की राष्ट्रभक्ति पर किसी को संदेह नहीं होनी चाहिए क्योंकि जिस समाज ने पूरे भारत वर्ष पर कभी अखंड राज की हो वे भला अपने देश के बारे में कैसे गलत सोंच सकते हैं और अपने देश को कमजोर कैसे कर सकते हैं और आज लोग कायस्थों पर भाजपा की अंध भक्ति जैसे आरोप लगाते हैं जो कि सही नहीं है और ये प्रामाणिक भी नहीं क्योंकि लोकनायक जय प्रकाश जैसे नेता जो कायस्थ समाज से ही आते हैं के बदौलत ही कॉंग्रेस मुक्त भारत की लक्षण देखी जा रही है क्योंकि जय प्रकाश नारायण जी ने कॉंग्रेस द्वारा डिक्लेयड इमर्जेंसी के बाद ही ये नारा दिया था कि कॉंग्रेस सत्ता छोड़ो जनता आती है और इसके परिणामस्वरुप पूरे भारत से कॉंग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया था और जनता पार्टी की अभ्युदय हुई थी हालांकि जनता पार्टी की शासन अधिक दिनों तक नहीं चली लेकिन उससे ये हुआ कि कई छोटी पार्टियों का जन्म हुआ जो बाद में जाकर एक – दो बड़ी भी बन गई और उनमें एक सत्तासीन भाजपा भी है जो दो सांसदों से अपनी सफर की शुरुआत कर 2014 से लगातार अभी तक मोदी जी के नेतृत्व में शासन कर रही है और देश के सशक्तिकरण में अपनी महत्तवपूर्ण योगदान दे रही है लेकिन जैसे – जैसे कायस्थ भाजपा के नजदीक आते गये वैसे – वैसे भाजपा कायस्थों से अपनी दूरी बनाती गई और 2024 के चुनाव में उन्होंने कायस्थों को एक भी टिकट नहीं दिया जिसका परिणाम ये हुआ कि कायस्थों की नाराजगी जगजाहिर हो गई और अनेकों कायस्थों ने नोटा को दबाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की और कई कायस्थ बाहुल्य सीट से भाजपा हार गई फिर कायस्थों पर भाजपा की अंधभक्त होने का आरोप लगाना उचित नहीं जान पड़ता है। और इसी तरह से कायस्थों की उपेक्षा राजनीतिक पार्टियों द्वारा होती रही तो एक दिन जय प्रकाश नारायण की तरह इसी समाज से एक नेता निकलेगा और भाजपा मुक्त शासन की बिगुल फूँक देगा इसलिये भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को इस पर विचार करनी चाहिए और सबका साथ सबका विकास के उनके अपने नारे को चरितार्थ करने की प्रयास करनी चाहिये।
विदित हो कि कायस्थ समाज न देश की मुफ्तखोरी योजना का हिस्सा है और कुछ होंगे भी तो अपनी गरीबी की वज़ह से क्योंकि कायस्थ समाज कर्मयोगी है और अपनी जरूरतों को पूरा करना जानता है और जिस समाज के शांति वर्ग ने मुफ्तखोरी का लाभ लिया उसने भाजपा की जगह आई. एन. डि. आई. ए. गठबंधन के दलों को वोट दिया लेकिन कायस्थ समाज जो कि राष्ट्रभक्त समाज है उनके लोंगो को टिकट नहीं देने से भाजपा अपने पैर में स्वयं कुल्हाड़ी मार रही है। उत्तरप्रदेश के कुछेक सीटों को छोड़ इस बार भी कायस्थों ने भाजपा को अन्य राज्यों में भरपूर वोट दिया है और बिहार के पटना साहिब सीट से कायस्थ उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद जी का विजयी होना इस बात का प्रमाण है। और इस तरह से कई कायस्थ राजनेताओं भाजपा और अन्य दलों से जीतना भी एक प्रमाण है इसलिये राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव में कायस्थों की उम्मीदवारी भाजपा और अन्य दलों की तरफ से पक्की होनी चाहिये ऐसी कायस्थ समाज की अपेक्षा है।

जय हिंद!!
साभार – अजीत कुमार सिन्हा, सोत्र – व्हाट्सप्प सोशल मीडिया

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