अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती जया श्रीवास्तव ने दी शुभकामनाएं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का संदेश

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव श्रीमती जया श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर उन्होंने महिला दिवस के इतिहास, महत्व और महिलाओं के अधिकारों पर विस्तार से प्रकाश डाला और इस दिन को मनाने के उद्देश्य को स्पष्ट किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (IWD) हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जो महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्वतंत्रता बढ़ाने पर केंद्रित है। यह दिन महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है और महिलाओं को समान अवसर प्राप्त करने की दिशा में जागरूक करने का अवसर प्रदान करता है।
महिला दिवस का इतिहास बहुत पुराना है। पहला महिला दिवस 1909 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था, जो लैंगिक समानता और महिला अधिकारों पर केंद्रित था। यह दिन 1911 में एक अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन में बदल गया, जिसमें दस लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। इसके बाद, यह दिवस 1977 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त कर गया।
श्रीमती जया श्रीवास्तव ने इस दिन के महत्व को समझाते हुए कहा, “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी को एक समान और निष्पक्ष समाज बनाने की जिम्मेदारी है, जहां हर महिला को उसके अधिकार और सम्मान मिले। महिलाओं के लिए समान अवसर उपलब्ध करना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए काम करना हमारे समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए।”
महिला दिवस का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों पर प्रकाश डालना है। यह दिन महिलाओं के खिलाफ हिंसा, लैंगिक वेतन अंतर और भेदभाव जैसे मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का अवसर भी है। इस वर्ष महिला दिवस की थीम ‘Accelerate Action’ (कार्रवाई में तेजी) है, जिसका संदेश है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हमें और तेज़ी से काम करना होगा और उन्हें समान अवसर देने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
भारत में भी महिला दिवस को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यहां महिला दिवस के अवसर पर न केवल महिलाओं के अधिकारों और उनके योगदान को स्वीकार किया जाता है, बल्कि उनके विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाता है। भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है, लेकिन आज भी लैंगिक समानता को लेकर कई चुनौतियां हैं। ऐसे में इस दिन को मनाना और महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा करना अत्यंत आवश्यक है।
महिला दिवस का बैंगनी रंग न्याय, गरिमा और समानता का प्रतीक है। यह रंग महिलाओं के लिए सम्मान और अधिकारों की प्रतीकात्मकता को दर्शाता है। कई देशों में महिला दिवस सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है, जहां महिलाएं अपनी समस्याओं और अधिकारों पर खुलकर बात करती हैं।
श्रीमती जया श्रीवास्तव ने महिलाओं से आग्रह करते हुए कहा, “महिलाओं को अपनी शक्तियों को पहचानना होगा। आत्मनिर्भर बनना और समाज में अपनी अहम भूमिका निभाना ही सशक्तिकरण का असली मतलब है। हमें अपने अंदर आत्मविश्वास और सामर्थ्य पैदा करना होगा ताकि हम अपने सपनों को साकार कर सकें और समाज में बदलाव ला सकें।”
महिला दिवस, महिलाओं की शिक्षा, उनके आर्थिक सशक्तिकरण, उनके सुरक्षा अधिकारों, और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई की दिशा में एक और कदम बढ़ाता है। यह दिन दुनिया भर में महिलाओं को समान अवसर देने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है।
0
0

Leave a Comment

और पढ़ें