पटना, 27 अगस्त 2024: पटना के ऐतिहासिक मोहल्ले मुख्तार टोली और कदमकुआं ने कायस्थ समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखा है। इस क्षेत्र में डॉ. लाला सूर्य नंदन, लाला केदारनाथ और अन्य कई प्रमुख नामों ने समाज सेवा और संस्कृति के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, इन मोहल्लों में कायस्थों की भव्य कोठियां हुआ करती थीं, जो अब समय के साथ समाप्त होती जा रही हैं।
समय की धारा में बदलाव के चलते, कायस्थ परिवारों के सदस्य या तो विदेशों में बस गए हैं या फिर देश के महानगरों में जाकर अपार्टमेंट कल्चर का हिस्सा बन गए हैं। परिणामस्वरूप, मुख्तार और वकील साहबों की कचहरी से लौटते हुए बगिया, शाम की दलान पर दोस्तों की बैठक, और फागुन की होली गीत का आयोजन अब दिखाई नहीं पड़ता। पुराने पकवानों की वह सोंधी खुशबू भी कहीं गुम हो गई है, जो कायस्थ परिवारों की खास पहचान थी।
इस बदलते परिदृश्य में, यह सवाल उठता है कि क्या नई पीढ़ी स्वर्गीय विन्ध्यवासिनी देवी और समाचार वाचक अनंत कुमार के नाम से भी परिचित है, जो कभी आकाशवाणी पटना पर एक छत्र राज किया करते थे? नाला रोड, दरियापुर गोला, और कॉंग्रेस मैदान जैसे स्थानों पर कायस्थों के आधे से ज्यादा घर होते थे, गर्दनीबाग, आलाका पुरी,दमरीया,मे भी बहुत कायस्थ कि संख्याबल था,लेकिन आज स्थिति अलग है। अब यह पहचान संकट में है।
पत्रकार और लेखक अशोक कुमार, जो गर्दनीबाग में रहते हैं, ने चन्शेखर प्रसाद के आशीर्वाद और सहयोग से इस विषय पर अपने विचार साझा किए हैं। उनके शब्दों में एक समय की मिठास और सांस्कृतिक विरासत की यादें जीवित हैं। यह लेख न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे समय के साथ हमारे पूर्वजों की परंपराएं और पहचान बदल रही हैं।
अशोक कुमार के लेख के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है कि बदलते समय के साथ, हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसे अनुभव कर सकें और हमारी पहचान बनी रहे।
अशोक कुमार, गर्दनीबाग
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