अनुपम श्रीवास्तव की पहली किताब “भोपाल ’92” स्पीकिंग टाइगर द्वारा प्रकाशित हुई है, जो भोपाल में बाबरी विध्वंस के बाद के चार दुर्भाग्यपूर्ण दिनों के दौरान की सच्ची घटनाओं पर आधारित एक काल्पनिक लेकिन प्रेरक कहानी है। यह उपन्यास सांप्रदायिक झड़पों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है।
किताब की कहानी दिसंबर 1992 में सेट है, जब भोपाल में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद भयानक सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। अनुपम जी, जो उस समय दूरसंचार इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे, जिला टेलीफोन एक्सचेंज के प्रमुख के रूप में कुछ समर्पित सहयोगियों के साथ, उन भयानक परिस्थितियों में टेलीफ़ोन एक्सचेंज को संचालित कर गुमनाम नायक बन कर रह गए।
यह उपन्यास न केवल अनुपम जी के करियर के लिए, बल्कि शायद इनके पूरे जीवन के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण चार दिनों को दर्शाता है। किताब में भोपाल में सेना (21 कोर) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है, जो उस समय की परिस्थितियों को समझने में मदद करता है।
“भोपाल ’92” एक प्रेरक और ऐतिहासिक उपन्यास है, जो सांप्रदायिक झड़पों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। यह किताब उन लोगों के लिए एक जरूरी पढ़ाई है, जो इतिहास को समझना चाहते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना चाहते हैं।
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