पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच द्वारा माँ विषय आधारित काव्य प्रतियोगिता में श्रीमती सीमा श्रीवास्तव की रचना

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ममता का आंचल लहराता है, फूलों की बरसात होती है।
जब भी मैं तनहा होती हूं तो, मेरी मां मेरे साथ होती है।

गृहस्थी की बगिया में गुलाब बन कर
रातों में मेरे साथ ख्वाब बन कर
मेरे हर सवाल का जवाब बन कर
मेरे होंठों पर अल्फ़ाज़ बन कर
मेरे हौसलों की परवाज़ बन कर
हर दिन हर पल पास होती है, मेरी मां मेरे साथ होती है।

ऐसे लगता है कि जैसे मेरी परछाई है
मेरी हर आदत में उसकी झलक दिखाई दे
अहसास होता है उसके हाथों की गर्मी का
सबूत मिल जाता है उसके हृदय की नर्मी का
मुसीबत सर पर जब जब आई है
बन के आशीष सदा वो साथ होती है, मेरी मां मेरे साथ होती है।

तारीफ मेरे संस्कारों की जब जब होती है
तब तब मेरी नज़रों में वो विजयी होती है
सब कहते हैं कि वो मुझसे दूर है बहुतकहने को तो मां मजबूर  है बहुत
पर हर ग़म में वो ही साथ खड़ी होती है
दो जहां की खुशियां
साथ होती है, मेरी मां मेरे साथ होती है।

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