पढ़िए अंतर्राष्ट्रीय कायस्थ काव्य मंच द्वारा माँ विषय आधारित काव्य प्रतियोगिता में श्रीमती ऋचा सिन्हा की रचना

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मेरी माँ 

मेरी माँ
याद आती है मुझे मेरी माँ
वो तड़के  ही उठ जाना
उठकर बुहारना पोछना  सींचना
वो ओस की बूँदो जैसी मेरी  माँ
याद आती है मुझे मेरी माँ
परात भरकर आटा गूँधना
परत दर परत चपातियाँ सेंकना
वो गैस के चूल्हे पे सिकती मेरी माँ
याद आती है मुझे मेरी माँ
वो बच्चों की चिल पिल
वो पापा के नखरे
वो शोर शराबे में चीखती मेरी माँ
याद आती है मुझे मेरी माँ
वो दादा दादी की दवाइयाँ
रिश्तेदारों की रुसवाइयाँ
थक कर कराहती मेरी माँ
याद आती है मुझको मेंरी माँ
वो बच्चों की पढ़ाई
वो घर भर का गणित
वो किताबों में सर खपाती मेंरी माँ
याद आती है मुझको मेरी माँ
वो माइके को तरसती
वो हर रूप में खंड खंड बंटती
वो फिरकनी सी दौड़ती मेंरी माँ
याद आती है मुझको मेंरी  माँ
वो शीशे में खुद को निहारती
साड़ी को क़रीने से बांधती
वो रात को भी अधजगी सी सोती मेरी माँ

ऋचा सिन्हा, मुंबई

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