कायस्थों ने भरी हुंकार – एक कविता कायस्थों के नाम
कायस्थ जागरण कायस्थों ने भरी हुंकार जुल्म और अत्याचार नहीं सहेगें बारंबार अब न्याय लड़कर लेंगे सरकार। जाग उठा है कायस्थ अब जाग उठी है उसकी लेखनी जागे हैं सारे नर – नारी जागेगी सरकारी मशीनरी़। हर जोर – जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा है इतना भी कमजोर न समझो प्रतिकार का इरादा … Read more