कल्पना श्रीवास्तव IAS, कंगाली में डूबी सरकार का खजाना भरकर आई सुर्खियों में लाडली लक्ष्मी योजना को देशभर में प्रसिद्धि दिलाई

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भोपाल। आजादी के बाद पहली बार भोपाल संभाग की कमान महिला आइएएस अधिकारी को मिली है। 1992 बैच की आइएएस अधिकारी उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने कंगाल हो चुकी शिवराज सरकार का खजाना भर दिया था। मध्यप्रदेश के तेजतर्रार आइएएस अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव अपने काम को लेकर हमेशा सजग रहती हैं। शिवराज सरकार की लालड़ी लक्ष्मी योजना को देशभर में प्रसिद्ध दिलाने वाली कल्पना ने कंगाली में डूबी शिवराज सरकार का भी खजाना भर दिया था। तब कल्पना के साथ ही उनके पति परिवहन आयुक्त शैलेंद्र श्रीवास्तव को भी इसका क्रेडिट मिला था। दोनों ने ही मिलकर सरकार के खजाने में एक हजार करोड़ से अधिक पैसा जमा कराया था।यह भी एक संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों ही अफसरों ने राजस्व में 500—500 करोड़ रुपए की ग्रोथ दी। शैलेंद्र श्रीवास्तव ने जहां पिछले साल वसूले गए राजस्व 2300 करोड़ को आगे बढ़ाते हुए इस साल 2812 करोड़ रुपए सरकार के खजाने में जमा कराए। करीब 512 करोड़ रुपए पिछले बार से ज्यादा। जबकि कल्पना श्रीवास्तव ने पंजीयन अफसरों की बैठकें की और लक्ष्य 4300 करोड़ की जगह 4800 करोड़ की वसूली कर सरकार का खजाना भर दिया। यह भी तब जब मध्यप्रदेश में रीयल इस्टेट कारोबार अपने बुरे दिनों से गुजर रहा है। ऐसे में यह राजस्व सही मायनों में कहीं ज्यादा है।यह भी एक संयोग ही कहा जाएगा कि दोनों ही अफसरों ने राजस्व में 500—500 करोड़ रुपए की ग्रोथ दी। शैलेंद्र श्रीवास्तव ने जहां पिछले साल वसूले गए राजस्व 2300 करोड़ को आगे बढ़ाते हुए इस साल 2812 करोड़ रुपए सरकार के खजाने में जमा कराए। करीब 512 करोड़ रुपए पिछले बार से ज्यादा। जबकि कल्पना श्रीवास्तव ने पंजीयन अफसरों की बैठकें की और लक्ष्य 4300 करोड़ की जगह 4800 करोड़ की वसूली कर सरकार का खजाना भर दिया। यह भी तब जब मध्यप्रदेश में रीयल इस्टेट कारोबार अपने बुरे दिनों से गुजर रहा है। ऐसे में यह राजस्व सही मायनों में कहीं ज्यादा है।दोनों अफसरों को सरकार के करीबी अफसरों में गिना जाता है। दरअसल, दोनों ही अफसर अपने काम के धुनी हैं और यही वजह है कि उन्हें लगातार अहम जिम्मेदारियां मिलती रही हैं। शैलेंद्र श्रीवास्तव डीजी पद पर रहते हुए जहां सरकार के परिवहन महकमे को संभाल रहे हैं। वहीं, कल्पना श्रीवास्तव ने प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा से लेकर कुलपति आरजीपीवी का भी काम संभाला और उस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स के हित में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। अब कल्पना को भोपाल संभाग का कमिश्नर बनाया गया है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब किसी महिला को यह कमान मिली है।

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