भोपाल : 9 अक्टूबर ब्रम्हा जी के मानसपुत्र भगवान श्री चित्रगुप्त जी, जिनका स्थान सत्य सनातन हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण देव में आता है, मानव जीवन के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले न्याय देवता हैं। वे केवल पाप और पुण्य का हिसाब नहीं रखते, बल्कि मानव जाति के अगले जन्म का निर्धारण भी करते हैं। यह उनका कार्य हमें यह समझाने के लिए है कि जीवन में किए गए कर्मों का फल किस प्रकार मिलता है।
हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है, वह सब भगवान चित्रगुप्त जी की देखरेख में होता है। हमारे द्वारा किए गए पुण्य कार्य और पाप कार्य, दोनों का लेखा-जोखा उनके पास होता है। इस लेखा-जोखे के आधार पर वे निर्धारित करते हैं कि हमें अगले जन्म में किस योनि में जन्म लेना है और हमारा भाग्य कैसा होगा। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने जीवन में सद्कर्म करें, ताकि अगला जन्म सुखद हो।
भगवान चित्रगुप्त जी की महिमा केवल उनके कार्यों में नहीं है, बल्कि उनकी भक्ति में भी है। जब भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करते हैं, तो वे भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। इस कृपा के माध्यम से भक्तों को पुण्य मिलता है, जो उनके अगले जन्म को सुखमय बनाता है। कहा जाता है कि राजा सौदास, जिन्हें चित्रगुप्त जी की विशेष कृपा प्राप्त थी, उन्होंने स्वर्ग में स्थान पाया। इस प्रकार, चित्रगुप्त जी की पूजा से हमें भी उसी प्रकार का आशीर्वाद मिल सकता है।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी का पूजन करने से हम अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं। यह पूजन हमें अपने कर्मों के प्रति सजग बनाता है और हमें नैतिकता का मार्ग दिखाता है। जब हम भगवान चित्रगुप्त जी की आराधना करते हैं, तो हमें अपने पापों की पहचान होती है और हम अपने जीवन में सुधार करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे हमारे भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो हमें सही मार्ग पर चलने में मदद करती है।
भगवान चित्रगुप्त जी की महिमा का एक और पहलू यह है कि वे सच्चे न्याय के प्रतीक हैं। उनके द्वारा दिया गया प्रत्येक निर्णय न्यायपूर्ण होता है, और यह हमें यह सिखाता है कि हमें अपने कर्मों का फल भोगने के लिए तैयार रहना चाहिए। जब हम अपने कार्यों को सच्चाई और ईमानदारी से करते हैं, तो हम चित्रगुप्त जी की कृपा के पात्र बनते हैं।
अतः, भगवान श्री चित्रगुप्त जी की पूजा सभी के लिए आवश्यक है। उनके प्रति हमारी श्रद्धा और भक्ति ही हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती है। हर प्राणी को चाहिए कि वह उन्हें अपनी आराधना में शामिल करे, ताकि उनकी कृपा से हम अपने कर्मों का सही फल प्राप्त कर सकें और अगला जन्म सुखद हो।
इस प्रकार, भगवान श्री चित्रगुप्त जी की महिमा का वर्णन करते समय हमें यह समझना चाहिए कि वे हमारे कर्मों के सच्चे रक्षक हैं। उनकी भक्ति से हम न केवल अपने पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं, बल्कि सुखमय जीवन की ओर अग्रसर भी हो सकते हैं।
जय श्री चित्रगुप्ताय नमः
वेद आशीष श्रीवास्तव
9303110615