जिसकी खून न खौले
विभूतियों के अवमानना पर
जिसकी खून न खौले
उसकी खून नहीं है
वो पानी है।१ ।
वैसी जिंदगानी, जिंदगानी क्या
जिसमें कोई रवानी नहीं है
जो अपमान किसी विभूति की करे
वो उसकी पागलपानी है।२।
जो अपमान जानबूझकर करे
उसे देशद्रोही देशवासियों ने मानी है
यदि गलती से गलती हो जाए
तो उसकी ये नादानी है।३।
जो सरकार विभूतियों के
प्रतीक की रक्षा न करे
उस सरकार की ये
नाकामी है।४।
जो सरकार अपराधी को
जेल भिजवाए
उस सरकार को कर्तव्यनिष्ठ
हमने जानी है।५।
जो समाज अपनी विभूतियों के
अपमान पर आवाज न उठाये
उस समाज के खून में
खून नहीं पानी है।६।
जो समाज अपने धरोहरों के
सम्मान के प्रति चिंतित हो
उस समाज को जागृत
हमने मानी है।७।
-अजीत सिन्हा रचित
१२ मार्च २०२५
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