पढें मेरी कविता चित्रगुप्त आन बसो मेरे मन में – अजीत सिन्हा
चित्रगुप्त आन बसो मेरे मन में मेरी उम्र गुजर गई भारत भूमि में चित्रगुप्त गुप्त होकर मन में वास करना इससे अच्छा निवास नहीं मेरे पास। तेरी कृपा यदि हो जाये कहीं भव से पार उतरूं इसी जीवन में। चित्रगुप्त मेरी नैया पार लगा देना बहुत कष्ट है इस मृत्यु लोक में। शरणागत तेरी जो … Read more