“जय जवान-जय किसान” के नारे से भारतीय समाज को सशक्त करने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी की 120वीं जयंती पर उन्हें शत-शत नमन!
उनकी सादगी, ईमानदारी और राष्ट्र के प्रति समर्पण हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। हम उनके आदर्शों को अपनाते हुए भारत के विकास में योगदान देने का संकल्प लें। शास्त्री जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं!
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन प्रेरणादायक और संघर्षमय रहा है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था, और वे एक साधारण परिवार में पले-बढ़े। उनके पिता की मृत्यु के बाद, उनकी माँ ने तीन बच्चों को अकेले ही बड़ा किया। शास्त्री जी ने अपनी शिक्षा में कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन वे हमेशा दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते रहे।
जब वे किशोर थे, तब महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। यह निर्णय उनके परिवार के लिए कठिन था, लेकिन उन्होंने अपने आदर्शों के लिए संघर्ष करना चुना। वे काशी विद्या पीठ में पढ़ाई करने गए, जहां उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि मिली।
स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण वे कई बार जेल गए, लेकिन इससे उनके साहस में कोई कमी नहीं आई। आजादी के बाद, उन्हें कांग्रेस सरकार में महत्वपूर्ण पद दिए गए। उनकी मेहनत और ईमानदारी के लिए उन्हें बहुत सम्मान मिला। विशेष रूप से, एक रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर संवैधानिक मर्यादा को एक मिसाल बनाया।
शास्त्री जी की दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। वे हमेशा अपने गुरु महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित रहे और मेहनत को प्रार्थना के समान मानते थे। उनके जीवन का संदेश है कि कठिनाइयों के बावजूद यदि हमारे इरादे मजबूत हों, तो हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
उनकी विनम्रता और दृढ़ता ने उन्हें भारतीय संस्कृति का एक सशक्त प्रतीक बना दिया। शास्त्री जी का योगदान आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।
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