‘मेरी माँ’
दुर्गम कठिन जंजालों
में, कंटीले से झाड़ो में,
जीवन झंझावातों में,
तुम नही हो मां पर याद साथ है।
सुख में दुख में, हर कठिन परीक्षा में,
कभी मन के उल्लास में,
तो कभी वेदना के आर्तनाद में, तुम नही
हो मां, पर याद साथ है..
नयनों में स्वप्नों में, जीवन जल तरंगों में,
उदासी में हर्ष में, कविता के भावों में,
तुम नही हो मां पर याद साथ है..
तीज के त्यौहार में, रतजगों के उल्लास में,
उस रात्रि की कालिमा
में, फिर भोर की लालिमा में, तुम नही हो मां
पर याद साथ है…
पूजा की थाली में, कृष्ण की आरती में,
गणगौर की अमराइयों
में, सुरीले उन गीतों में,
तुम नही हो मां पर
याद साथ है….
जीवन के उतारों चढ़ावों तक, हर
सुख दुख के उजियालों तक,
भोर की नींद से उठ
फिर रात्रि के मीठे मीठे ख़्वाबों तक,
तुम नही हो मां
पर याद साथ है
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